AM Post-44

admin Comments 0 October 1, 2024

AM Post-44

प्रिय आमिल
सचसँग

आध्यात्मिक एवं सांसारिक उपलब्धि

एक दिन में चौबीस चौबीस मिनट की 60 घटिया (एक घटी यानि 24 मिनट का एक पीरियड) होती है। मनुष्य को सुबह जल्दी उठकर सुबह 04:00 a.m. से 05:36 a.m. (अमृत वेला) तक यानि चार घटी यानि लगभग 96 मिनट नित्य कर्म जैसे अभिवादन प्रार्थना (वज्रासन में बैठकर), ध्यान प्रक्रिया (सिद्धासन में बैठकर) और त्रि प्रार्थनाएं (पदमासन में बैठकर) यानि मास्टर प्रार्थना, इम्प्रूवमेंट प्रार्थना और कण्ट्रोल प्रार्थना करनी है। यदि संभव ना हो तो सुबह का समय अपनी सुविधानुसार एडजस्ट भी किया जा सकता है। इसके साथ साथ दिन में अपनी सुविधानुसार इस पुस्तक में वर्णित सोलह प्रार्थनाओं में से अपनी जरूरत की प्रार्थनायें करनी है। इससे हर इन्सान के सिर में विद्धमान एक अंग सहस्त्रसार से विधि, सफलतापूर्वक और संतुलित नज़रियापूर्वक, साधना, प्रेयर, पुरुषार्थ के साथ साथ सद्गुरू स्मरण करने से उस अंग सहस्त्रसार से सिर में अमृत की बूंदे टपकने लगती है। जिससे वो इन्सान प्रेम, शांति और आनन्द से परिपूर्ण हो जाता है यानि वो इन्सान एक अमृतधारी इंसान (आध्यात्मिक उपलब्धि) बन जाता है। इसके साथ साथ दिन में अपनी सुविधानुसार लगभग 20 घटिया यानि लगभग 480 मिनट यानि आठ घंटे शिक्षा यानि कैरियर जैसे रोज़गार करने से बहुत ज्यादा बढ़िया जीवन यापन करने के लिये देर सवेर बढ़िया आमदनी हो सकती है। बढ़िया मकान, बढ़िया खान-पान, बढ़िया कपड़े, बढ़िया शिक्षा, बढ़िया चिकित्सा, बढ़िया मनोरंजन और बढ़िया सुख-सुविधाएं, बढ़िया बचत, बढ़िया निवेश , बढ़िया दान, बढ़िया रहन सहन के साथ साथ बढ़िया आजीविका यानि कैरियर (सांसारिक उपलब्धि) आदि आदि मिल सकती है। इसके बाद अपनी सुविधानुसार लगभग 20 घटिया यानि लगभग 480 मिनट यानि आठ घंटे नींद और लगभग 16 घटिया यानि लगभग 384 मिनट यानि 6.4 घंटे प्रतिदिन दैनिक क्रियाकलापों को करना है। यह सारा मिनटों का समय आप अपनी सुविधानुसार एडजस्ट कर सकते है। इसके साथ साथ इन्सान को अपनी शुद्ध आमदनी (कुल आमदनी – कुल खर्चा = शुद्ध आमदनी) का पांच प्रतिशत (5%) हिस्सा लोकजन कार्यो में जैसे शिक्षा, चिकित्सा, स्व-रोज़गार, सहयोग, सहभोज़ और वृक्षारोपण आदि आदि में खर्च करना है। क्योंकि इन्सान के सिर पर इन पांच (सद्गुरू यानि भगवान + पिता + माता + शिक्षक + प्राणियों) के कर्ज़ होते है। इसके साथ साथ जो इन्सान अगर किन्हीं कारणों से अपनी शुद्ध आमदनी (कुल आमदनी – कुल खर्चा = शुद्ध आमदनी) का पांच प्रतिशत (5%) हिस्सा लोकजन कार्यो में जैसे शिक्षा, चिकित्सा, स्व-रोज़गार, सहयोग और सहभोज़ आदि आदि में खर्च नहीं कर सकते तो वे अपनी शुद्ध आमदनी का पांच प्रतिशत (5%) हिस्सा अपने आमिल मिशन को कंट्रीब्यूट करें ताकि आमिल मिशन उनके बिहाल्फ से लोकजन कार्य जैसे शिक्षा, चिकित्सा, स्व-रोज़गार, सहयोग और सहभोज़ आदि आदि कार्यों में खर्च कर सके। इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी लेने के लिये आप मेरी पुस्तक ‘ह्यूमन फॉर एफ्फोर्ट्स’ से मार्गदर्शन ले सकते है। जो तीन भाषाओं इंग्लिश, हिन्दी और पंजाबी में मेरी वेबसाइट https://www.aamilmission.com पर अपलोड है। इसका मूल्य $1.51/- एवं आईएनआर रू.121/- चुकाकर आप यह पुस्तक डाउनलोड करके उससे सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर, पुरुषार्थ और स्मरण के लिए सहायता और मार्गदर्शन ले सकते है।

‘निमित्त’

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