AM Post-47

admin Comments 0 March 4, 2024

AM Post-47

प्रारब्ध और भाग्य

इन्सान इस दुनियाँ में अपने कर्मों का फल यानि प्रारब्ध लेकर आता है। उस प्रारब्ध और अपने नये कर्मों के फल को भोगता हुआ अपने पिछले प्रारब्ध और अपने नये कर्मों के फल को यानि भाग्य को लेकर इस दुनियाँ से नया मानव जीवन लेने के लिये चला जाता है। इन्सान जीवित रहते ही स्वर्ग-नर्क, हेवन-हेल, जन्नत-जहुन्नम में चला जाता है। इन्सान सुख में है तो वह स्वर्ग, हेवन, जन्नत में है और अगर इन्सान दुःख में है तो वह इन्सान नर्क, हेल, जहुन्नम में है। स्वर्ग-नर्क, हेवन-हेल, जन्नत-जहुन्नम का आजतक कोई गवाह और सबूत नहीं है और ना ही हमारे आमिल मिशन का इसमें कोई विश्वास है।

‘Nimit’

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