AM Prayer-अभिवादन

Krishan Kakkar Nimit Comments 0 January 17, 2022

AM-प्रेयर

अभिवादन

जब आप सुबह उठते है तो फ्रेश होकर नित्यकर्म करने के बाद सबसे पहले अभिवादन करना है।

नोट: प्राणायाम करते हुए ‘सद्गुरुॐ’ का उच्चारण करने के बाद ‘सद्गुरु’ नाम के ग्यारह प्राणायाम करने है।

मेरे सद्गुरु परमात्मा

सचसँग

तूँ ही सच है और तेरा मेरे साथ संग है। तेरे संग से मैं सन्तुलित नजरिया, खुशी, स्वास्थ्य, शक्ति, धनाढ्यता, सफलता, स्वस्थ दीर्घायु, हिम्मत-उम्मीद, फ़ायदा, जिज्ञासा, समझ-बुद्धि, विद्द्या-हुनर, ज्ञान-अनुभव, विवेक-प्रज्ञा, समय-प्रबंधन, वर्त्तमान-कालिक, जागरूकता, कर्त्तव्यनिष्ठ, अधिकारपरस्त, तर्कशीलता, विज्ञानशीलता, सोच-विचार, सन्तुलित पूर्वाग्रह, पारखी, क्रॉस वेरिफिकेशन, कसौटी, जाँचपरख विश्वास, सटीक निर्णय, संकल्प, अमल, वचन, टोन, आदतें, स्वभाव, चरित्र, सन्तुलित संस्कार, जिजीविषा, आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति, सहनशक्ति, अनुशासन, शिष्टाचार, रोज़गार, परिस्तिथियाँ, आमदनी, स्वयं-केन्द्रित, यथार्थता, व्यावहारिक, पेशेवर, व्यापारिक, गुणवत्ता, योजना, समीक्षा, बजट, प्रबंधन, राजनीति, कूटनीति, समझौता, दुनियाँदारी, संभावना, अवसर, अतिरिक्त, हैसियत-परस्त, सुसंगति, गुडविल, दूरदर्शिता, क्षमता, एकाग्रता, ऊर्जा, उत्साह, सम्पर्क, मार्केटिंग, रसूख, माइंडसैट, समय-निष्ठ, संघर्षशील, एक्टिव मूड़, क्रियाशील, रास्ता, राही, चाल, नित्य-प्रति, निरन्तरता, उद्देश्यप्राप्ति, आत्मनिर्भर, समाधान, फ़ॉलोअप, कार्यसिद्धि, करेंसी-सिद्धि, उपार्जकता, विकास, पौष्टिक आहार, तृप्ति, मनोरंजन, संतुष्टि, वाकिंग, एक्सरसाइज, परहेज, उपचार, राज़ी-खुशी, चिरयुवा, उपभोग, बचत, निवेश, दान, उच्च मनोबल, वातावरण, ऑउटपुट, सन्तुलित अहँकार, इंसानियत, विनम्रता, सन्तुलित भावना, समद्रष्टा, प्रेम, सेवा, सकूँन, शांति, आनन्द, प्रारब्ध परिवर्तन, जीवन पर्यन्त और बढ़िया वक़्त से परिपूर्ण जिन्दगी जी रहा था, जी रहा हूँऔरआजीवन जिन्दगी जीता रहूँगा। मैं तो बस तेरी चरण शरण हूँ।

जो तूँने मुझमें तेरी यानि मेरी आन्तरिक दोषी भावनाओं जैसे काम, क्रोध,लोभ, मोह, मद, मत्सरता, प्रमाद, आलस्य, टालमटोल, फिर कभी, कर लेंगे, पूर्वाग्रह, चंचलता, जल्दबाज़ी, मज़बूरी, सन्देह, शक, वहम, गलतफ़हमी, अन्धविश्वास, मूड, दिवा स्वप्न और गलती आदि आदि दोषी भावनायें ना ही ज्यादा मात्रा और ना ही कम मात्रा में यानि सन्तुलित मात्रा में है।

जो मैं तेरे रहमो-कर्म, दया-कृपा से मैं मेरे मन को मेरे नियंत्रण करने के लिए मैं नित्य निरन्तर प्रयत्नशील हूँ।

मैं मेरे आध्यात्मिक और संसारिक जीवन के लक्ष्यों को दिन भर तेरा माध्यम यानि निमित्त बनकर समय-सारिणी अनुसार विधि और सफलतापूर्वक एवं संतुलित नज़रियापूर्वक, साधना, प्रेयर और पुरुषार्थ के साथ साथ सिमरण करते हुए प्राप्त करता रहता हूँ एवं मेरे भले, उन्नति, विकास और उच्चमनोबल की प्राप्ति के लिए यानि जिन्दगी में समय और पानी की तरह तेरे आशीर्वाद से आगे ही आगे और आगे ही आगे बढ़ता रहता हूँ। क्योंकि यदि मेरा मन मेरे नियंत्रण में है तो मैं विजेता हूँ और यदि मैं मेरे मन के नियंत्रण में हूँ तो मैं हारेता हूँ। मैं तो बस तेरी चरण शरण हूँ।

नोट: इसके बाद प्राणायाम करते हुए ‘सद्गुरुॐ’ का उच्चारण करने के बाद ‘सद्गुरु’ नाम के ग्यारह प्राणायाम करने है।

‘निमित्त’

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