AM Post-64 ‘अमृतधारी’

admin Comments 0 September 25, 2024

AM Post-64 ‘अमृतधारी’

‘अमृतधारी’

प्रिय आमिल

हर इन्सान के सिर के अंग सहस्त्रसार में अमृत है। जो एक निश्चित प्रक्रिया के द्वारा सहस्त्रसार से टपक टपक कर इन्सान के अन्दर भरने लगता है। फलस्वरूप वह इन्सान एक अमृतधारी इन्सान बन जाता है। वह इन्सान प्रेम, शान्त और आनन्द स्वरूप बन जाता है। इस प्रक्रिया को जानने के लिए और जानकर सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर, पुरुषार्थ के साथ साथ स्मरण करते हुए वह इन्सान ‘अमृतधारी इन्सान’ बन जाता है। इस निश्चित प्रक्रिया के सम्बन्ध में अधिक जानकारी लेने के लिये आप मेरी पुस्तक ‘ह्यूमन फॉर एफ्फोर्ट्स’ से मार्गदर्शन ले सकते है। जो तीन भाषाओं इंग्लिश, हिन्दी और पंजाबी में मेरी वेबसाइट https: पर अपलोड है। इसका मूल्य $1.51/- एवं आईएनआर रू.121/- चुकाकर आप यह पुस्तक डाउनलोड करके उससे सन्तुलित नज़रिया, साधना, प्रेयर, स्मरण और पुरुषार्थ के लिए सहायता और मार्गदर्शन ले सकते है।

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